दुनिया बदल रही है। समाज बदल रहा है। लोग बदल रहे हैं। नही बदल रही है तो सिर्फ़ कामगारों की हालत। कामगार पहले भी कमाते थे और खाते थे। अब भी हालत ऐसी ही है। कामगार बीमार पड़ता है तो इलाज के पास नही होते। घर में शादी होती है तो बैंक से लोन लेना होता है। हाँ ये बात अलग है की कामगारों के नाम पर राजनीती करने वाले ऐश कर रहे हैं। कामगार आन्दोलन तो अब बीते ज़माने की बात हो गई है। आन्दोलन होते हैं तो सरकारी कर्मचारिओं की तनख्वाह बढ़ने के लिए। काश असल कामगारों के हित में भी असल आन्दोलन होने लगें। असल कामगारों की पहचान भी होनी चाहिए।ham khud ko samajh rahe hain. shayad isme samay jyada lagaga. ho sakta hai ki samajh na bhi paoon. fir bhi koshish karta rahoonga. karibion ka sath bhi leta rahoonga.
Sunday, February 15, 2009
कहाँ हो
दुनिया बदल रही है। समाज बदल रहा है। लोग बदल रहे हैं। नही बदल रही है तो सिर्फ़ कामगारों की हालत। कामगार पहले भी कमाते थे और खाते थे। अब भी हालत ऐसी ही है। कामगार बीमार पड़ता है तो इलाज के पास नही होते। घर में शादी होती है तो बैंक से लोन लेना होता है। हाँ ये बात अलग है की कामगारों के नाम पर राजनीती करने वाले ऐश कर रहे हैं। कामगार आन्दोलन तो अब बीते ज़माने की बात हो गई है। आन्दोलन होते हैं तो सरकारी कर्मचारिओं की तनख्वाह बढ़ने के लिए। काश असल कामगारों के हित में भी असल आन्दोलन होने लगें। असल कामगारों की पहचान भी होनी चाहिए।
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