तालिबानों ने पत्रकार मूसा खान को मौत के घाट उतार दिया। ३० से ज्यादा गोली दागी गई। आख़िर तालिबान ने फ़िर दिखाया की वे तो सिर्फ़ भयानक से भयानक मौत में विशवास करते हैं। असल में तालिबान इन्सान नही कहे जा सकते। उन्हें तो हैवानो से भी भयानक कहा जाना चाहिए। लेकिन हैवान कह देने से भी उनकी हैवानिअत में बदलाव नही आने वाला। तालिबानों को यदि कुत्तों की मौत मारा जाय तो भी कम ही है। कहने का मतलब ये है की तालिबानों को इलाज फिलहाल तो कोई दीखता नही। ऐसे में किया क्या जाय। अपने को दुनिया का मुखिया कहलाने वाला अमरीका तालिबानों को निपटने में लगा है। लेकिन पाकिस्तान सरकार की मिलीभगत से तालिबान मजबूत होते जा रहे हैं। अब अमरीका को भी पाकिस्तान को लेकर अपनी सोच बदलनी ही होगी। ham khud ko samajh rahe hain. shayad isme samay jyada lagaga. ho sakta hai ki samajh na bhi paoon. fir bhi koshish karta rahoonga. karibion ka sath bhi leta rahoonga.
Thursday, February 19, 2009
तालिबान
तालिबानों ने पत्रकार मूसा खान को मौत के घाट उतार दिया। ३० से ज्यादा गोली दागी गई। आख़िर तालिबान ने फ़िर दिखाया की वे तो सिर्फ़ भयानक से भयानक मौत में विशवास करते हैं। असल में तालिबान इन्सान नही कहे जा सकते। उन्हें तो हैवानो से भी भयानक कहा जाना चाहिए। लेकिन हैवान कह देने से भी उनकी हैवानिअत में बदलाव नही आने वाला। तालिबानों को यदि कुत्तों की मौत मारा जाय तो भी कम ही है। कहने का मतलब ये है की तालिबानों को इलाज फिलहाल तो कोई दीखता नही। ऐसे में किया क्या जाय। अपने को दुनिया का मुखिया कहलाने वाला अमरीका तालिबानों को निपटने में लगा है। लेकिन पाकिस्तान सरकार की मिलीभगत से तालिबान मजबूत होते जा रहे हैं। अब अमरीका को भी पाकिस्तान को लेकर अपनी सोच बदलनी ही होगी।
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