Saturday, June 13, 2009

धोनी का घमंड

जवानी में घमंड तो हर किसी को कुछ न होता ही है। लेकिन, सामूहिक फैसलों के समय जोश के साथ दिल का भी कहना मानना होता है। लेकिन, भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी इन दिनों कुछ ज्यादा ही हवा में उड रहे हैं। उन्हें शह मिल रही है भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की। बोर्ड को लगता है कि धोनी 20-20 विश्वकप जिता देंगे। लेकिन, सुपर एट के पहले मुकाबले में धोनी की सेना धराशायी हो गई। वेस्टइंडीज ने उसे चारों खाने चित्त कर दिया। न ईशांत चले। न दिखा जहीर का तूफान। इरफान और यूसुफ भी नहीं कर सके कमाल।

प्रज्ञान और भज्जी की हिम्मत जवाब दे गई। रोहित शर्मा के बल पर वीरेन्द्र सहवाग की अनदेखी की गई। धोनी को लगा कि सहवाग नहीं भी रहेंगे तो भी कुछ बिगडने वाला नहीं है। रोहित बांग्लादेश, आयरलैंड जैसी टीमों के सामने तो खूब बरसे। लेकिन, जैसे ही वेस्टइंडीज के खिलाडियों की कहर बरपाती गेंदें नजर आईं। उनकी हवा निकल गई। गंभीर तो फिर भी ठीक रहे। सुरेश रैना, धोनी की तो एक न चली।


आईपीएल में सबसे शानदार गेंदबाजी करने वाले आर.पी. सिंह बेंच पर बैठे हैं। स्विंग मास्टर प्रवीण कुमार गेंद थामने का इंतजार कर रहे हैं। जोशीले आलराउंडर रवीन्द्र जडेजा नेट पर ही पसीना बहाकर क्हीझ उतार रहे हैं। लेकिन, मैनेजमेंट में इनका कोई माईबाप नहीं है। विज्ञापन एजेंसियों ने इन तीनों पर पैसा नहीं लगाया है। शायद इसीलिए ये हाथ मल रहे हैं। ईशांत, इरफान, प्रज्ञान, जहीर, रैना अपने नाम के बल पर अंतिम 11 में शामिल हो रहे हैं।

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